चिंतामण गणेश में 56 भोग, पट खुलने के बाद से लेकर शयन आरती तक दर्शन खास
रविवार को मंदिर में होने वाली संध्या आरती में श्रद्धालु भी भागीदारी कर सकेंगे यानी श्रद्धालु अपने-अपने घरों से दीपक लाकर आरती में सम्मिलित हो सकते हैं। महत्व : तीन स्वरूपों में दर्शन। उल्टा स्वस्तिक बनाने की परंपरा है। वनवास के दौरान राम, लक्ष्मण, सीता ने शिप्रा किनारे दशरथजी का पिंडदान किया था। इसके बाद यहां पहुंचे तो सीता मैया ने प्रथम पूज्य के दर्शन-पूजन किए। लक्ष्मण ने बाण से बावडी स्थापित की। चिंतामण गणेश को 56 भोग लगाए गए। शहर से 7 किलोमीटर दूर मंदिर में चिंतामण गणेश के साथ ही इच्छामन और सिद्धिविनायक के दर्शन भी होते हैं। मुख्य पुजारी गणेश गुरु ने बताया कि बुधवार सुबह, पट खुलने के बाद पंचामृत अभिषेक पूजन किया। भगवान को 56 भोग लगाए। शयन आरती तक दर्शन का सिलसिला जारी रहा। इसके साथ ही श्रद्धालुओं को लड्डू प्रसादी दी गई।
2022-09-01