18 जुलाई 31 अगस्त तक चलाया जायेगा दस्तक अभियान*

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18 जुलाई 31 अगस्त तक चलाया जायेगा दस्तक अभियान
उज्जैन 26 जून। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजय शर्मा ने बताया कि प्रदेश में बाल स्वास्थ्य एवं पोषण वृद्धि हेतु शासन द्वारा सतत् प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में दस्तक अभियान प्रदेश की एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। प्रदेश के अन्य जिलो के साथ-साथ जिला उज्जैन में भी दस्तक अभियान चलाया जायेगा। दस्तक अभियान का आयोजन 18 जुलाई से 31 अगस्त तक किया जायेगा। अभियान के अन्तर्गत 5 वर्ष उम्र तक के बच्चों प्रमुख बाल्यकालीन बीमारियों की सक्रिय पहचान एवं प्रबंधन किया जाता है ताकि बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। दस्तक अभियान के दौरान समुदाय में बीमार नवजातो और बच्चों की पहचान प्रबंधकन एवं रेफरल, शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल, गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान रेफरल एवं प्रबंधन, 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों के गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन, बाल्यकालीन दस्त रोग नियंत्रण हेतु ओ.आर.एस. एवं जिंक उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता एवं प्रत्येक घर में ओ.आर.एस. पहुंचाना, 9 माह से 5 वर्ष तक के समस्त बच्चों को विटामिन ए अनुपूरण, बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान, समुचित शिशु एवं बाल आहारपूर्ति संबंधी समझाईश समुदाय को देना, एस.एन.सी.यू. एवं एन.आर.सी. से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फालोअप को प्रोत्साहन, गृह भेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुये बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना आदि गतिविधियां की जायेंगी। दस्तक अभियान के दौरान किये जाने वाले समस्त गतिविधियों के दौरान कोविड-19 सुरक्षा नियमों का पालन किया जायेगा।

*वर्षा ऋतु में होने वाली बीमारियां एवं उनके बचाव के उपाय*

उज्जैन 26 जून। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजय शर्मा ने बताया कि वर्षा ऋतु में मुख्य रूप से दूषित जल के उपयोग के कारण होने वाली बीमारियां ही प्रमुख रूप से देखी जाती है। दूषित जल के सेवन से टाइफाईट पीलिया, डायरिया, पैचिश एवं हेजा जैसी बीमारियां भी फैलती है। अतः भोजन बनाने में एवं पेयजल के रूप में शुद्ध उबला हुआ जल का उपयोग करें। कुछ भी खाने के पहले व शौच के पश्चात साबुन से अवश्य हाथ धोयें।
शुद्ध पेयजल की कमी के कारण देश में जलजनित रोगों से सबसे अधिक यानि लगभग 80 प्रतिशत मौतें होती है। विकासशील देशो में शुद्ध पेयजल की कमी एक आम समस्या है। बारिश में यह समस्या बढ़ जाती है। पानी और अस्वच्छ आदतों से फैलने वाली बीमारियों को मौटे तौर पर दस्त/कृमि संक्रमण/त्वचा और आंखों के रोग/मच्छरों एवं मक्खियों से फैलने वाले रोग सम्मिलित है।
दस्त रोग- दूषित पानी के कारण प्रायः दस्त रोग फैलता है। मुख्य रूप से बच्चों में यह अधिक गंभीर रूप धारण कर सकता है । यह रोग इसलिये भी गंभीर है क्योंकि शरीर में से पानी निकल जाने से बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है । दस्त रोग की रोकथाम हेतु प्रायः शुद्ध पेयजल एवं शुद्ध भोजन का उपयोग करें। सड़े गले फल एवं खाद्य पदार्थो का उपयोग न करें, खाना खाने से पहले एवं शौच के बाद साबुन से अवश्य हाथ धोयें, खुले शौच न करें, शौचालय का उपयोग करें। घर के आसपास साफ सफाई रखें, दस्त लग जाने पर ओ.आर.एस. एवं जिंक सल्फेट गोली का उपयोग चिकित्सक की सलाह अनुसार करें। खाने-पीने की वस्तुओं को ढंककर रखें, मक्खियों से बचाव करें, हरी सब्जी एवं फलों को उपयोग करने के पहले साफ पानी धोकर उपयोग करें।
आंखों का रोग- मानसून के दौरान बहुत से लोगों को आंखो के रोग हो जाते है, आंखो में खुजली एवं आखें लाल हो जाती है, चिपचीपी हो जाती है, सफेद और पीले रंग का पदार्थ जमा हो जाता है। इस रोग को आई फ्लू, कंजक्टिवाईटिस, या आंखें आना के रूप में जाना जाता है। कंजेक्टिवाइटिस का संक्रमण आपसी संपर्क के कारण फैलता है, इस रोग का वायरस संक्रमित मरीज के उपयोग की किसी भी वस्तु जैसे, रूमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर से दूसरों तक पहुंचता है, कम्प्युटर का की बोर्ड भी इसे फैलाने में सबसे बड़ा सहायक साबित होता है। आंखे आने पर बार-बार अपने हाथ एवं चेहरे को ठंडे पानी से धोयें, परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग तोलिये एवं रूमाल का उपयोग करें, स्वच्छ पानी का उपयोग करें, बार-बार आंखों को हाथ न लगायें, धूप के चश्मे का प्रयोग करें, चिकित्सक को दिखायें।
मलेरिया/डेंगू रोग- बरसात में मलेरिया/डेगू रोग भी फैलता है जिसमें मरीज को ठण्ड लगकर बुखार आता है। प्रायः बरसात के दिनों में जल जमा हो जाता है जो खेत, तालाब, गड्डे, खाई, घर के आसपास रखे हुए टूटे-फूटे डब्बे, पुराने टायर, पशु के पानी पीने का होद इत्यादि। इस प्रकार के भरे हुए पानी में प्रायः मच्छर के लार्वा पैदा होते है, जो बाद में मच्छर बनकर रोग फैलाते है। मलेरिया से बचाव हेतु घर के आसपास जल जमा न होने दें, रूके हुए पानी में मिट्टी का तेल या जला हुआ आईल डालें। कूलर, फुलदान, फ्रिज ट्रे आदि को सप्ताह में एक बार अवश्य साफ करें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। कीटनाशक का छिडकाव करवायें, मलेरिया रोग हो जाने पर खून की जांच अवश्य करायें एवं चिकित्सक की सलाह से पूर्ण उपचार लें।

 

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