जन जागृति केंद्र गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन का 40वां स्थापना दिवस। समारोह
यह जानकारी उज्जैन उपझोन समन्वयक श्री राजेश पटेल ने मिडिया को गायत्री शक्तिपीठ पर दी।
ऋषियों में अग्रणी महर्षि नारद की परंपरा के संवाहक आप सभी का जन जागृति केंद्र गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन पर हार्दिक स्वागत है।
धर्म तंत्र से लोक शिक्षण के उद्देश्य स्थापित गायत्री परिवार वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी उनकी सहधर्मिणी माता भगवती देवी शर्मा के सूक्ष्म संरक्षण तथा आदरणीया शैल दीदी, डॉ प्रणव पंड्या जी के मार्गदर्शन में अपने उदेश के लिए गायत्री उपासना, यज्ञीय जीवन के लिए सतत् प्रयास रत है। इसके लिए युवा और किशोरों के लिए बाल संस्कार शाला युवा प्रकोष्ठ शहरों में दिया समूहों श्रद्धालुओं के लिए गायत्री सत्संग आदि के द्वारा समाज में कुरुतियों को तोड़ते हुए विचारशील, प्रगतिशील समाज की स्थापना के लिए पर गायत्री साधना यज्ञ संस्कार के साथ व्यसन उन्मूलन कुरीति उन्मूलन के संकल्प कराए जाते हैं। गायत्री परिवार की अखंड ज्योति, युग निर्माण योजना मासिक पत्रिकाओं के द्वारा यह कार्य किया जा रहा है। गायत्री परिवार का मानना है कि हम बदलेंगे युग, बदलेगा। हम सुधरेगे युग सुधरेगा अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा मूल मंत्र लेकर सारे प्रकल्प चलाए जा रहे हैं।
जन जागृति केंद्र गायत्री शक्तिपीठ की प्राण प्रतिष्ठा 15 मार्च 1982 को हुई थी। शांतिकुंज हरिद्वार के वरिष्ठ विद्वानों द्वाराच यह कार्य संपन्न कराया गया था।
यह स्थान गायत्री माता द्वारा चुना गया
हमारे वरिष्ठ परिजनों ने बताया कि जमीन मालिक श्री रामचंद्र माली ने यह जमीन एक पोल्ट्री फार्म बनाने वाले के लिए सौदा कर लिया था। लेकिन एक रात उन्हें यहां के स्थान देवता जो अभी यहां विराजित हैं श्री बसत भैरव जी ने सपने में कहा- रामचंद्र ऐसा मत कर यहा पोल्ट्री फार्म नहीं बन सकता है, यहां पर गायत्री माता विराजित होंगी यह गायत्री माता के लिए स्थान है। अतः यह जमीन गायत्री परिवार वालों को दे दीजिय सुबह उठकर रामचंद्र माली ने अपना सपना बहुत लोगों को बताया और गायत्री परिवार के परिजनों की खोज शुरू कर दी। इसी खोज में कोठी पर श्री बालकृष्ण उपाध्याय एडवोकेट से मिले और अपने सपने के बारे में बताया तो श्री उपाध्याय जी ने उन्हें गायत्री परिवार के श्री कालीचरण श्रीवास्तव श्रीमती चंदा शर्मा दीदी से मिलवाया। और यह जमीन श्री रामचंद्र तो निशुल्क देने को तैयार थे परंतु परम पूज्य गुरुदेव के कहने पर उन्हें जमीन की कीमत ली गई और यह जमीन खरीदी गई। इस प्रकार इसका स्वम गायत्री माता यहां का चयन किया गया है।
प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व ही यहां से रचनात्मक गतिविधियां गायत्री साधना, उपासना से लोगों को जोड़ने और प्रचारप्रसार शुरू हुआ था 11980 के सिंहस्थ में यहां पर एक यज्ञशाला बनाकर नियमित यज्ञ किया गया। [][][वासियों के सहयोग से यह निर्मित हुआ और 15 मार्च 1982 को यहां गायत्री माता कुण्डली माता और सावित्री माता की प्राण प्रतिष्ठा हुई। उसी दिन के आज 40 वर्ष पूर्ण होने पर तीन दिवसीय समारोह रहा है। इसके तहत 13 मार्च को सुबह 9 बजे यहां से दिव्य कलश और सदमंथ यात्रा
निकलेगी जो क्षेत्र में भ्रमण करती हुई है यहीं संपन्न होगी। शाम 4:30 बजे से युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए युवा सम्मेलन होगा
14 तारीख को सुबह 8:00 बजे से देव आवाहन पूजन यज्ञ एवं संस्कार होंगे। आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी के लिए पुंसवन/ गर्भोउत्सव को प्राथमिकता दी गई है और उस दिन यह संस्कार बड़ी संख्या में कराए जाएंगे। सांय काल गायत्री परिवार द्वारा घोषित महिला सशक्तिकरण वर्ष के उपलक्ष में महिला -शकिरण गोष्ठी होगी वंदनीया शैल दीदी का संदेश लेकर शांतिकुंज हरिद्वार से टोली आ रही है।
15 तारीख को सुबह यज्ञ संस्कार एवं हमारे जीव के पत्थर अग्रेज परिजनों का सम्मान होगा। हमारे जींव के पत्थर करीब 30 परिजनों का सम्मान होगा तथा 9 उपक्षोन समन्वयक के पहले सेवाएं दे चुके उनका अभिनंदन किया जाएगा।
इन तीनों दिनों में यहां के साहित्य स्टाल से साहित्य ब्रह्म भोज के तहत आधी कीमत में उपलब्ध कराया जाएगा
सन 2004 और 2016 सिंहस्थ में पूरे एक महा 108 कुंडी यज्ञ साथ प्रज्ञा पुराण
संस्कार, सद
साहित्य वितरण भंडारा आदि के प्रकल्प चलाए गएरा संसार में 30 दिन तक 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ
केवल उज्जैन सिंहस्थ में ही होता है।
गायत्री शक्तिपीठ एक आदर्श दिनचर्या के साथ संचालित होता है सुबह 5:30 से रात्रि 8:30 तक यहां विभिन्न गतिविधियां संचालित होती हैं। यहां पर प्रगतिशील विचारों के साथ सभी संस्कार निशुल्क कराए जाते हैं। विवाह संस्कार की विधि व्यवस्था के लिए वर एवं वधू पक्ष से 2500 ₹2500 अनुदान लिया जाता है। •सारी सामग्री की व्यवस्था यहीं पर रहती है। बच्चों के लिए संस्कार शिविर महिलाओं के लिए श्रद्धा संवर्धन गोष्ठियों पर्यावरण संरक्षण के लिए जल स्रोत संवर्धन वृक्षारोपण इको फ्रेंडली गणेश निर्माण की कार्यशाला यहां आयोजित होती हैं 16 दिन तक निशुल्क श्राद्ध तर्पण में यहां हजारों लोग आकर अपने पितरों का तर्पण श्राद्ध करते हैं। शहर की प्रथम नक्षत्र वाटिका गीत यहीं पर स्थापित की गई है।
कोरोना काल के लोक डाउन में यहां से 400 से 500 व्यक्तियों का भोजन नगर निगम के माध्यम से वितरित किया गया। दूसरी लहर के दौरान यहां से ऑक्सीजन सिलेंडर निशुल्क उपलब्ध कराए गए।
हम अपने स्वर्ण जयंती तक इस संस्थान को शांतिकुंज हरिद्वार के आदर्श माडल के रूप में स्थापित करने के लिए संकल्पित हो रहे हैं।
संचालन- गायत्री शक्तिपीठ का संचालन वर्तमान में शांति कुंज हरिद्वार के श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट हरिद्वार से होता है। जिसके लिए एक उपझोन समन्वयक सह प्रबंधक का दायित्व शांतिकुंज हरिद्वार से दिया जाता है जो समय-समय पर बदलते रहते हैं इस समय हमारे पास (राजेश पटेल) यह दायित्व है। इसके सहयोग के लिए यहां || सदस्सीय कार्यकारिणी और चार प्रबंधन समितियां बनाई गई है। आप सबका यहां पधारने पर हार्दिक धन्यवाद और हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। परम पूज्य गुरुदेव ने • सभी प्रतिभावानों से अपनी प्रतिभा, समय, संपदा का एक अंश युग निर्माण और उज्जवल भविष्य के निर्माण के लिए नियोजित करने का अनुरोध हैअत:सभी धर्म प्रेमी श्रद्धालुओं से आनुरोध है। जरुर पधारे।
2022-03-09