उज्जैन आई डी के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले आरोपियों को 03 – 03 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई

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महानिदेशक/संचालक, लोक अभियोजन, श्री अन्‍वेष मंगलम द्वारा चिन्हित जघन्‍य एवं सनसनीखेज प्रकरणों की गयी समीक्षा
वर्ष 2021 में न्‍यायालय से निराकृत प्रकरणों की हुई समीक्षा
समीक्षा के दौरान खराब प्रदर्शन करने वालो को मिला दंड
उत्‍कृष्‍ट  कार्य करने वाले अभियोजक हुए प्रशंसित

महानिदेशक/ संचालक, लोक अभियोजन, श्री अन्वे्ष मंगलम द्वारा वर्ष 2021 में न्यायालय से निराकृत चिन्हित जघन्य एवं सनसनीखेज प्रकरणों की समीक्षा के दौरान खराब प्रदर्शन के लिये 2 अभियोजकों को निलंबित किया गया तथा 4 को ՙՙकारण बताओ नोटिस՚՚ जारी किये, वहीं 10 से ज्यादा अधिकारियों को उनके ՙՙउत्कृणष्टत प्रदर्शन՚՚ के लिये ՙՙप्रशंसा-पत्र՚՚ प्रदान किये गये ।
बैठक में प्रदेश भर के उप संचालक, अभियोजन/ जिला अभियोजन अधिकारी/ लोक अभियोजक/ अपर लोक अभियोजक/ सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारियों द्वारा भाग लिया गया । समीक्षा में कुल 700 प्रकरणों की जिलेवार समीक्षा की गयी ।
समीक्षा में पाया गया कि रायसेन, शहडोल, मंडला, छतरपुर, रतलाम, नरंसिंहपुर, भोपाल, दतिया आदि जिलों का प्रदर्शन अच्छा रहा । यहां चिन्हित प्रकरणों में 80 प्रतिशत से अधिक सजा दर दर्ज की गयी । इसके विपरीत जिला शाजापुर, अलीराजपुर, मुरैना, दमोह, रीवा, अशोकनगर आदि में 50 प्रतिशत से भी कम दोषसिद्धि दर पर संचालक, लोक अभियोजन द्वारा अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी जिलों को वर्ष 2022 में प्रदर्शन में सुधार का लक्ष्य् दिया गया ।
समीक्षा के दौरान जिला अभियोजन अधिकारी अशोकनगर, श्री अतुल शर्मा एवं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी, सिलवानी, जिला रायसेन  श्री राजेन्द्र वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया । जिला अभियोजन अधिकारी, उमरिया, श्री अकरम शेख, जिला अभियोजन अधिकारी, इंदौर,  श्री संजीव श्रीवास्तहव, जिला अभियोजन अधिकारी, उज्जैन, श्री राजकुमार नेमा, उप संचालक (अभियोजन) अलीराजपुर, श्री राजीव गरवाल, को ՙՙकारण बताओ नोटिस՚՚ जारी किया गया ।
संचालक द्वारा सजा दर में वृद्धि के उपाय समझाते हुये पुलिस रेग्युललेशन के पैरा 518 एवं माननीय उच्चतम न्यायालय के ՙՙकिशन भाई՚՚ प्रकरण में दिेये निर्देशों के पालन में गंभीरता से स्क्रू्टनी करने, न्यायालय में आरोप निर्धारण के दौरान लिखित तर्क प्रस्तुत करने, न्यायालय ट्रायल में चालान प्रस्तुत करने से पूर्व विवेचक एवं थाना प्रभारी से परामर्श करने तथा न्यायालय से विचारण की तिथि प्राप्त  होने पर समंस/वारंट की तामीली हेतु प्राप्त कर थाना प्रभारी को सौंपने को बतलाया । उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक प्रकरण की दैनिक प्रगति की जानकारी पुलिस रेग्यु्लेशन पैरा 519 के पालन में जिले के पुलिस अधीक्षक को देवें । पैरवी अधिकारी के नियमित पेशी पर न आने की जानकारी दैनिक प्रतिवेदन के माध्यम से ही पुलिस अधीक्षक को सौंपें । माह में सभी दोषमुक्ति प्रकरणों को साक्ष्य एवं त्रुटि समीक्षा प्रतिवेदन के साथ जिला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता की किशन जी भाई समिति के समक्ष रखने के निर्देश दिये । उन्होंने विश्वास प्रगट किया कि इन उपायों को अपनाये जाने से सजा दर में वृद्धि सुनिश्चित है । ज्ञातव्य है कि संचालक ने पृथक से ՙՙस्क्रूटनी՚՚ कार्य को ऑन-लाइन करने और इसके स्टैडर्ड फार्मेट तैयार करने के लिये पृथक से कार्यवाही प्रारम्भ् करते हुये अभियोजकों की समिति भी गठित की है । समिति अपना प्रतिवेदन 15 दिवस में प्रस्तुत करेगी ।
यह भी बताया गया कि, संचालनालय स्क्रूटनी के मानक प्रारूप तैयार किये जाने की दिशा में कार्य कर रहा है, जिससे गंभीर प्रकरणों में भी विधि अनुसार यथाशीघ्र साक्ष्य संग्रहण सुनिश्चित किया जा सके ।
संचालक ने निर्देश दिया कि अभियोजक का दायित्व पीडि़तों एवं अभियोजन गवाहों की सहायता करना है । अभियोजकों का आरोपी पक्ष से संपर्क एवं संवाद नहीं होना चाहिये ।
आई.डी. के नाम पर धोखाधडी करने वाले आरोपियों को 03-03 वर्ष के कठोर कारावास की सजा

न्यायालय माननीय सुश्री फातिमा अली, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला उज्जैन के न्यायालय द्वारा आरोपीगण 01. शक्तिसिंह पिता बिशनसिंह शेखावत निवासी-वैशाली नगर, जयपुर 02. संदीप, पिता नंदलाल, उम्र-46 वर्ष 03. रोहित, पिता संजय, उम्र-30 वर्ष दोनों निवासीगण- आहूजा इलेक्ट्रानिक्स नई सड़क, उज्जैन को धारा 420 भादवि में समस्त आरोपीगणों को 03-03 वर्ष का कारावास एवं कुल 25,000/- रूपये का जुर्माना किया गया।

अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी श्री मुकेश कुमार कुन्हारे ने अभियोजन घटना अनुसार बताया कि फरियादी निरंजन ने थाना कोतवाली पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कराई कि माह नवम्बर 2013 में उसके दोस्त जितेन्द्र पुरी ने बताया था कि स्टेवेल इन्फोटेक कम्पनी की आईडी लेने पर कई गुना रुपए वापस मिलते हैं। इसी बात पर मैं अपने मित्र जितेन्द्र, धर्मेन्द्र तथा लव तोमर के साथ संदीप आहूजा की नई सडक पर आहूजा इलेक्ट्रानिक्स की दुकान पर गया था, जहां पर उन्हें संदीप आहूजा एवं उसका भतीजा रोहित आहूजा मिले। रोहित आहूजा ने स्टेवेल इन्फोटेक कम्पनी की कई प्रकार की स्कीम उन्हें बताई थी, उस दिन फरियादी ने 51,000/- रुपए की आईडी हॉफ पेमेन्ट पर ली थी, जिसके कुल 30,000/- रुपए उसने संदीप आहूजा को दिए थे। फरियादी द्वारा जब संदीप आहूजा को रसीद देने का कहा तो संदीप ने एक सप्ताह के अंदर कम्पनी से रसीद लेकर फरियादी को देने का कहा। फरियादी के मित्र जितेन्द्र ने भी उसके साथ 28,000/- रुपए की एक आई.डी. हाफ पेमेन्ट पर ली थी, जिसके 16,000/- रुपए जितेन्द्र से संदीप को दिए थे, जिसकी कोई रसीद संदीप ने नहीं दी थी। इसके लगभग 10 दिन बाद फरियादी पुनः धर्मेन्द्र एवं जितेन्द्र के साथ रसीद प्राप्त करने आहूजा की दुकान पर दुबारा गया था। उसी दिन धर्मेन्द्र ने एक आई.डी. 51,000/- रुपए की हॉफ पेमेन्ट 30,000/- रुपए देकर तथा दूसरी आईडी 28,000/- रुपए की हॉफ पेमेन्ट 16,000/- रुपए देकर ली थी, जिसकी रसीद उस समय नहीं दी गई थी। उसी दिन लव तोमर ने भी 28,000/- रुपए की आईडी 3000/- रुपए की डिस्काउंट में 25,000/- रुपए में ली थी। इसके पश्चात् फरियादी, जितेन्द्र, लव तोमर और धर्मेन्द्र संदीप आहूजा की दुकान पर कई बार रसीद लेने गए तो न ही उन्हें रसीद मिली और न ही रुपए प्राप्त हुए। फिर जब उन्होंने स्टेवेल इन्फोटेक कम्पनी की वेबसाइट को खोला तो उसमें देखा कि कम्पनी ने अपना कारोबार मध्यप्रदेश में बंद कर दिया है। इसके पश्चात उक्त चारों लोग आहूजा इलेक्ट्रानिक की दुकान पर पहुॅचे जहां पर उन्हें ताला लगा मिला, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि संदीप आहूजा एवं रोहित आहूजा द्वारा स्टेवेल कम्पनी के नाम से उनके साथ धोखाधडी की गई है। फरियादी की रिपोर्ट पर थाना कोतवाली पर अपराध पंजीबद्ध किया गया। आवश्यक अनुसंधान पश्चात् अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में पेश किया गया। माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को दण्डित किया गया।

प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री कुलदीप सिंह भदौरिया, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी, जिला उज्जैन द्वारा की गई

 

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