विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में अध्यादेशों एवं नियमों का उल्लंघन कर अवैध एवं फर्जी कोर्स संचालित कर, छात्रों के साथ धोखाधड़ी के अनैतिक कृत्यो मे लिप्त कुलपति, कुलसचिव, निदेशक एवं संबन्धित समिति सदस्यों पर एफआईआर कर कार्यवाही करने बाबत निवेदन ।

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उज्जैन प्रदेश अध्यक्ष एनएसयूआई मंजुल त्रिपाठी ने अपनी छात्रों की टिम के साथ ज्ञापन सौंपा

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे एवं अन्य के द्वारा मप्र विश्वविध्यालय अधिनियम एवं अध्यादेशों का घोर उल्लंघन किया जाकर, अनेकों अवैध एवं फर्जी पाठ्यक्रम प्रारम्भ किए गए है एवं किए जा रहे हैं। इन फर्जी पाठ्यक्रमों का शिक्षा की गुणवत्ता से कोई लेना देना नहीं है। कुलपति पाडे मात्र एक दुकानदार की भांति इन अवैध पाठ्यक्रमों को बेच रहे है।

विक्रम विश्वविद्यालय के इन अवैध कारनामों की वजह से उच्च शिक्षा एक मजाक बन गई है। हाल ही में कुलपतिजी के आदेश पर नियम-वीरुध एड्मिशन किए गए जिसके प्रमाण भी उपलब्ध करा कर कार्यवाही की मांग की गई परंतु कोई कार्यवाही नहीं की गई। कुलपति के द्वारा अनेकों शैक्षणिक भ्रष्टाचार, घोटालों एवं प्रबंधन के कारण विश्वविद्यालय में अराजकता का महोल व्याप्त है। कुलपति के इन काले कारनामों पर कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण इनका होसला इतना बुलंद है एवं ये नित नए अवैध कारनामे कर, शिक्षा की गुणवत्ता एवं छात्रों के साथ खिलवाड़ कर रहे है।

हाल ही में जारी पी एच.डी. एडिशन विज्ञापन में कुलपति द्वारा एक नया कारनामा किया गया है। जिसमें अध्यादेश एवं परिनियमों का घोर उल्लंघन हुआ है

1 विश्वविद्यालय के एमओईटी संस्थान में (जहां एक भी नियमित शिक्षक नहीं है) को नियम वीरुध रिसर्च केंद्र बना कर एवं अध्यादेश का उल्लंघन कर अवैध रूप से बाहर के शोध निदेशकों की नियुक्ति की गई है। ये सारा कारनामा, गैर तकनीकी लोगों से करवाया गया पैसे लेकर फर्जी तरीके से शोध निदेशकों की नियुक्ति करने की बात सामने आई है।

2 जिस विषय का संकाय ही नहीं है, एक भी स्थायी शिक्षक नहीं है, जिस विषय में स्नातक पाठ्यक्रम की सुविधाए तक उपलब्ध नहीं है। पूरा संस्थान गेस्ट फैकल्टि से चल रहा है। वहाँ पर पी.एच.डी. जेसे उच्च पाठ्यक्रम प्रारम्भ करना, शिक्षा के साथ खिलवाड, शेक्षणिक भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा एवं घोर अराजकता है।

3. पी.एच.डी. के संबन्धित अध्यादेश एवं यूजीसी के नवीन नियमो एवं निर्देशानुसार, बाहर की किसी भी संस्थान के व्यक्ति को निदेशक नहीं बनाया जा सकता है। परंतु अध्यादेश एवं यूजीसी के निर्देशों का उल्लंघन कर अवैध रूप से शोध निदेशको की नियुक्ति की गई है।

4.कुलपति द्वारा, एक गैर–शैक्षणिक व्यक्ति (सिस्टम इंजीनियर) को जो की तृतिय श्रेणी का कर्मचारी है, को भी शोध निदेशक बना कर अध्यादेश का उलंघन किया गया।

5. हाल ही में अवधेशप्रताप सिंह विश्वविद्यालय में हुई, इसी प्रकार की अवैध कार्यवाही, जिसमे एक गैर-शैक्षणिक व्यक्ति को शैक्षणिक कार्य देने के संदर्भ में माननीय कुलाधिपतिजी ने अपने आदेश क्र.रूरू 848 / रा.स./ यू.ए. -3/2021 दिनांक 01 सितंबर, 2021 के द्वारा कुलपति, कार्यपरिषद एवं संबन्धित समितियों के द्वारा कृत्य अवैध कार्यवाही को निरस्त किया गया था एवं अवैध कार्यवाही में लिप्त कुलपति, कुलसचिव एवं संबन्धित समिति सदस्यो को दोषी माना था।

6 कुलपति द्वारा एसओईटी में (जहां एक भी स्थायी शिक्षक नहीं है) ही अवैध रूप से फर्जी एम. टेक. पाठ्यक्रमो को चलाया जा रहा है। एम.टेक के ये पाठ्यक्रम फिज्ज से मान्यता प्राप्त नहीं होने के कारण फर्जी एवं अवैध है।

7 कुलपति पाण्डेयजी द्वारा एआईसीटीई (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) की नियमावली की कंडिका 2.14.20. 2.14.2 (म). 2.14.4 ). (इ) दक (ब) 4.33, 4.9. (र) एवं 4.12 का उल्लंघन कर अवैध रूप से एम. टेक के पाठ्यक्रमों का संचालन कर घोर फर्जीवाड़ा किया एवं उच्च तकनीकी शिक्षा एवं छात्रों के साथ खिलवाड़ कर रहे है।

8.नियमों का उल्लंघन कर संचालित किए जा रहे इन पाठ्यक्रमों में प्रवेशित छात्रों का भविष्य अंधकार में ही होगा एवं इन छात्रों को उच्च शिक्षा एवं नौकरी में भी दिक्कत आएगी तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

, उक्त तथ्यों से स्पष्ट है की विक्रम विश्वविद्यालय में नियमो, अधिनियमो, अध्यादेशों एवं परिनियमों में वर्णित प्रावधानों का उल्लंघन कर संचालित किए जा रहे अवैध एवं फर्जी उक्त पाठ्यक्रमों को तत्काल बंद किया जाए एवं इन अवैध कृत्यों में लिप्त कुलपति, कुलसचिव एवं संबंधित समितियों के वीरुध वीरुध एफआईआर दर्ज की जाकर कानूनी कार्यवाही की जाए। यही विनय है।

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