उज्जैन सप्तसागर विकास कार्ययोजना पर अमल नहीं होने तक जारी रहेगा संतो का धरना आन्दोलन

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सप्तसागर विकास कार्ययोजना पर अमल नहीं होने तक जारी रहेगा संतो का धरना

उज्जैन वसुंधरा की सबसे पवित्र नदियों में से एक अमृतमयी मां शिप्रा को प्रदूषण से मुक्त निर्मल और इसे सदा प्रवाहमान व निर्मल जल से युक्त बनाने के संबंध में हम संत जन ने विगत दिनों सभी का ध्यान आकृष्ट कराया था। रामादल अखाड़ा परिषद के समस्त संत धार्मिक नगरी अवंतिका तीर्थ के सप्त सागरों की दुर्दशा की ओर भी शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए दिनांक 21 जनवरी शुक्रवार से अंकपात मार्ग स्थित श्री गोवर्धन सागर के तट पर धरना प्रदर्शन कर रहे है। संतो का यह धरना तब तक जारी रहेगा जब तक कि सप्तसागर विकास कार्ययोजना पर प्रशासनिक स्तर पर अमल आरंभ नहीं कर दिया जाता है। पुराणों में वर्णित उज्जैन के सप्तसागरों की धार्मिक महत्वा तो है ही, इसके साथ ही

सप्तसागर उज्जैन शहर में भूमिगत जल के भंडारण के बड़े संग्रहण कैद है। इसके अलावा शहर के पर्यावरण को संतुलित रखने में भी सप्तसागरों का अहम योगदान रहता है। प्रति 3 वर्ष मे धर्मयात्रा कर दान-पूजन आदी करते हैं। इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की होती है। सबसे अहम्म पड़ने वाले पुरुषोत्तम मास (अधिक मास) में हजारों की संख्या में श्रद्धालुजन सप्तसागर की बात यह है कि इन प्राचीन सप्तसागरों के जल के प्रचर भंडारण की वजह से पुण्य सलिला शिप्रा भी सदा प्रवाहमान रहा करती थी। समय के साथ सप्तसागरों की दशा बदहाली की ओर अग्रसर है। समय रहते यदि मध्यप्रदेश शासन इन्हें संरक्षि अदूरदर्शिता और देख-रेख के अभाव व संवर्धित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाएगा तो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सप्तसा तीर्थ समाप्त होते चले जाएंगे।

हम संतजन शासन-प्रशासन से अपेक्षा करते हैं कि उज्जैन तीर्थ का गौरव बढ़ाने वाले सप्तस के विकास, पुर्नउदार और संरक्षण से संबंधित ठोस कार्ययोजना को लागू इस ज्ञापन के माध्यम से हम आपसे अपेक्षा करते हैं करे।

(1) उज्जैन स्थित प्राचीन सप्तसागरों की भूमियों का सीमांकन कर इन्हें शासन आधिपत्य में जाए।

(2) सप्तसागरों की भूमी को अतिक्रमण से मुक्त करावें व भविष्य में इन पर अतिक्रमण इसके लिए ठोस कदम उठाए जावे।

(3) सप्तसागरों में व्याप्त गंदगी को साफ कर, इनका गहरीकरण इन्हें पुनः धार्मिक महत्ता के अनुरूप बनाया जाए। इनमें शुद्ध स्नान योग्य जल का भंडारण हो सके, ऐसे प्रयास किए जाए।

(4) प्रत्येक सागर पर स्नान, पूजन-अर्चन, दान-पुण्य आदी धार्मिक क्रियाकलापों के लिए स्थान

सुनिश्चित कर इन स्थानों का विकास जैसे घाट निर्माण, पुजारियों व श्रद्धालुओं के लिए शेड का निर्माण आदी कार्य कराए जाए

(5) प्राचीन गोवर्धन सागर में विक्रमादित्य कलाथ मार्केट व अन्य स्थानों से मिलने वाले प्रदूषित जल को मिलने से रोकने के ठोस उपाय किए जाए।

(6) सप्तसागरों की जमीन व जल के भंडारण में औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों के उत्पादन, इन पर आदी की अर्थात सप्तसागरों को आधुनिक व प्राचीन शिक्षा से जोड़कर इन्हें भविष्य के लिए उपयोगी बनाया जाएगा।

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