आज खाकचौक चौराहे मंगलनाथ मार्ग से सप्त सागरों की अवलोकन यात्रा दोपहर 2 बजे विष्णु सागर का प्रथम अवलोकन की शुरुआत की वही सोलाह सागर गोवर्धन सागर क्षीरसागर पुष्प सागर रुद्र सागर अन्त में रत्ना सागर उंडासा पर समाप्त की
उज्जैन आज गुरूवार को खाकचौक चौराहे से सप्त सागर अवलोकन यात्रा रामादल परिषद के मंहत रामेशवर दास जी के साथ उज्जैन रामादल अखाड़ा परिषद के सदस्य संतो द्वारा सप्त सागरों के विकास की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए शिप्रा सदा नीर बनी रहै इसमें शुद्ध पानी की आवक रहे इसीलिये शहर में सप्त सागरों का निर्माण किया गया था। सप्त सागर शहर को वातानुकूलित रखते हैं और शुद्ध पानी के भंडार यदि संरक्षित कर दिऐ गये तो तो बहुत हद तक शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाए रखने मदद मिलेगी राज्य सरकार को सप्त सागरों की स्थिति पर ध्यान देना होगा ओर सप्त सागरों में पुरुषोत्तम मास में महिलाओं द्वारा पूजन का विधान है। बड़ी संख्या में महिलाएं एवं श्रध्दालु पूरषोतम मास में सातो सागर पर पूजन-अर्चन करती है। धार्मिक दृष्टि से शहर के सप्त सागरों का उतना ही महत्व है जितना शिप्रा नदी का कई सागरों पर गन्दगी ओर अतिक्रमण कर रखा है। जिसे मुक्त कर सप्त सागरों की स्थिति सुधारने के लिए चरणबद्ध आंदोलन चलाया जाऐगा
इस सप्त सागर यात्रा मे मंहत रामेशवर दास भगवान दास विशाल दास बलराम दास काशी दास परमेश्वर दास रामचन्द्र दास दिग्विजय दास मुनिचरण दास राधैनदृ दास राम दास मंगल दास शंकर दास झान दास राम चरण दास रामलोचन दास सुलोचन दास कृष्ण दास आदि संत उपस्थित थे