भोपाल से प्रमुख सचिव के मुआवने से असंतुष्ट सांधु संतो का देवास ओर इन्दौर का दुषित पानी शिप्रा मै न मिलने से रोकने केअवलोकन के लिए दिनांक 22 दिसम्बर बुधवार को सांधु संतो का दल देवास से इन्दौर जाएगा

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श्रद्धालुओं को मजबूरन दुषित पानी मै ही स्नान करना पड़ा इससे नाराज संतो ने शिप्रा नदी को प्रदूषण-दूषित मुक्त कराने की ठोस योजना की मांग को लेकर धरना दिया था जो आश्वासन पर सशर्त समाप्त हुआ था यह जानकारी मंहत डाँ रामेश्वर दास ने जगदीश मंदिर गऊधाट पाला रोड पर दी गई कि।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव जी और कलेक्टर साहब के कहने से धरना स्थगित कर दिया उसके बाद में भोपाल से प्रमुख सचिव आए थे लेकिन उन्होंने जो मुआवना करा उनके अधिकारीयों के साथ में किया जिससे साधु-संतों को तो उन्होंने बुलाया नहीं और ना साधु संतों से कोई चर्चा ही वस्तुस्थिति का पता सिर्फ साधु संत ही बता सकते हैं कि शिप्रा की स्थिति क्या है उन्होंने अपने कर्मचारियों से पूछ कर जानकारी लेकर चले गए तो साधु संतों ने निर्णय लिया की 22 दिसम्बर बुधवार को सभी संत महात्मा यहां से देवास जाएगे ओर जो फैक्ट्रियों का गंदा व दूषित पानी शिप्रा मै मिलता है उसका निरीक्षण करेंगे और फिर वहा से इंदौर में जाकर भी देखेगे की इन्दौर का गंदा ओर दुषित पानी शिप्रा मे मिलता है का भी निरीक्षण करेंगे कि जो टिट्मेन्ट प्लान डालें उसमें कितना पानी आता है और वह सक्सेज हे। की नहीं एवं कितना गंदा पानी शिप्रा मे मिलता है उसके बाद सभी साधु संत देखेंगे के बाद सभी मिलकर जो भी निर्णय लेंगे वह अवगत कराएंगे की
शिप्रा शुद्ध करने का दावा किया 90 करोड़ सिर्फ पाईप लाईन मे बहा दिया ओर अब नई प्लानिंग खान डायवर्शन पाईप लाईन सिंहस्थ 2016 मे 90 करोड़ खर्च कर 19 किलो मीटर लंबी यह लाईन राधौ पिपलिया से कालियादेह महल तक बाछाई गई थी ताकि इन्दौर की तरफ से आने वाला गंदे पानी को इस लाईन से डायवर्ट कर दिया जाए और वह शिप्रा नदी को दुषित नहीं कर पाए। लेकिन हैरत है कि महज पांच साल में ही करोड़ों रुपये खर्च कर डाली गई पाईप लाईन फैल हो गई क्योंकि यह पाईप लाईन इन्दौर की तरफ से आने वाले गंदे पानी को डायवर्ट कर शिप्रा को दुषित होने से रोकने मे लगातार नाकाम साबित हो रही है सिर्फ नहर द्वारा ही गंदा पानी को शिप्रा नदी में मिलने से रोका जा सकता है।उपस्थित कई अखाड़े के साधु संत महेश पुजारी पंडित राजेश त्रिवेदी आदि थ

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