पुराने शहर के बड़े गोपाल मंदिर में बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात अद्भुत दृश्य था। भगवान शिव ने भगवान विष्णु को सृष्टि का भार सौंपा। गोपालजी की तुलसी माला महाकाल जी के गले में शोभायमान हुई और महाकाल की बिल्वपत्र की माला गोपालजी का कंठहार बनी। मौका था वैकुंठ चतुर्दशी को हुए हरि-हर मिलन का।
धार्मिक मान्यता है कि देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु सृष्टि का भार शिवजी को सौंप कर क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए जाते हैं तथा देवउठनी एकादशी पर उनका जागरण होता है। इस बीच सृष्टि की देखभाल की जिम्मेदार शिवजी को सौंपते हैं। वैकुंठ चतुर्दशी पर यह जिम्मेदारी शिवजी फिर से विष्णुजी दे देते हैं। इसी प्रसंग को हरि-हर मिलन उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गोपाल मंदिर में गोपालजी के सामने महाकाल बाबा को विराजित किया गया। दोनों मंदिरों के पुजारियों ने पूजन किया। सवारी में केवल पुजारी और अधिकारी-कर्मचारी ही शामिल हुए।