उज्जैन शहर मे डेंगू मलेरिया के प्रकोप से बचने के लिए सावधानियां स्वास्थ अधिकारी डॉ संजय शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया

Listen to this article

*डेंगू मलेरिया से बचाव हेतु सावधानियां*

उज्जैन 07 सितम्बर। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजय शर्मा ने बताया कि मानसून के दौरान/मानसून के पश्चात मच्छरों के उत्पत्ति स्थल बढ़ जाने के कारण मलेरिया व डेंगू की परिस्थितियॉ निर्मित हो जाती है एवं मलेरिया व डेंगू का प्रसार अधिक होने लगता है। मलेरिया मादा एनाफिलीज नामक मादा मच्छर के काटने से फैलता है। अधिकाशतः मलेरिया के मच्छर रूके हुए पानी में पैदा होते हैं यह मच्छर जब मलेरिया से पीड़ित किसी मरीज को खून चूसता है तो मलेरिया के कीटाणु मच्छर के पेट में चले जाते हैं और मच्छर जब स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसके शरीर में मलेरिया के कीटाणु छोड़ देता है। कोई भी बुखार आने पर तुरन्त खून की जांच करायें, मलेरिया भी हो सकता है। मलेरिया पाये जाने पर पूर्ण उपचार लें।
ठंड देकर बुखार आना, पसीना देकर बुखार उतरना, कपकपी आना, जी मचलाना, सिर दर्द, उल्टी इत्यादि मलेरिया व डेंगू के लक्षण है। मलेरिया बीमारी के नियंत्रण के उपाय के लिये ही नही, बल्कि मच्छरजनित अन्य बीमारियों, जैसे-फाइलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया के प्रभावी नियंत्रण करना है।
डेंगू मलेरिया के लक्षण- सर्दी व कंपन के साथ बुखर तेज बुखार, उल्टियां और सिरदर्द। पसीना आकर बुखार उतरना बुखार उतरने के बाद थकावट व कमजोरी होना।
यदि बुखार हो तो क्या करे- बुखार आने पर तुरंत रक्त की जांच करायें। मलेरिया की पृष्टि होने का पूरा उपचार लें। खाली पेट दवा कदापि न लें। मलेरिया हेतु खून की जांच व उपचार सुविधा समस्त शासकीय अस्पतालों पर निःशुल्क उपलब्ध है।
डेंगू मलेरिया फैलाने वाले मच्छर कहॉ पैदा होते है- छत पर रखी पानी की खुली टंकियां। टूटे बर्तन, मटके, कुल्हड, गमलों में एकत्र जल में। बेकार फेकें हुए टायरों में एकत्र जल में। बिना ढंके बतनों में एकत्र जल में। कूलर में एकत्र जल में। किचन गार्डन में रूका हुआ पानी। गमले, फूलदान, सजावट के लिए बने फव्वारे में एकत्र जल में।इस
क्या करे- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। घर के आस-पास के गढ्डों को भर दे। पानी से भरों रहने वाले स्थानों पर टीमोफॉस, मिट्टी का तेल या जला हुआ इंजन ऑयल डालें। घर एवं आर-पास अनुपयोगी सामग्री में पानी जमा न होने दें। सप्ताह में एक बार अपने टीन, डिब्बा, बाल्टी इत्यादि का पानी खाली कर दें। दोबारा उपयोग होने पर उन्हें अच्छी तरह सुखायें। सप्ताह में एक बार अपने कूलर्स का पानी खाली कर दें, फिर सुखाकर ही उनका उपयोग करें। पानी के बर्तन आदि को ढक्कर रखें। हैण्डपंप के पास पानी एकत्र न होने दें।

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे